रविवार, 7 दिसंबर 2014

छतीसगढ़ में आय का एक नया स्रोत ,,





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बरसात के बाद ठण्ड ,के दिनों चरौटा बीज जमा कर बेचने से छतीसगढ़ के गाँव वालों और आदिवासियों को आतिरिक्त आय होने लगी  है ..बारिश की पहली फुहार के उगी चरौटा के पत्ते तोड़ साग बनाया जाता रहा है,,पर अब इसका बीज विदेश निर्यात किया जाने लगा हैं ,,,इसके औषधीय गुणों की पहचान हो चुकी है ,,,!

हर साल बड़े पैमाने में उगने वाले चरौटा के बीज का मूल्य गेंहू और चावल से अधिक है ,,ये तीस से पैंतीस रूपये किलो बिक रहा है और इस मूल्य में एक किलों चावल के साथ एककिलों गेंहू मिल जाती है..!

स्वयमेव उगी चरौटे की फलियाँ ठण्ड के शुरुवाती  दिनों सूख जाती है ,,ग्रामीण इसके काट कर सड़क पर डाल देते है और हर आने-जाने वाले वाहन से इसकी मिसाई होती जाती है ,,फिर बीज छान कर अलग कर लिया जाता है ,,,बरीघाट में एक परिवार ने बताया कि कुछ समय पहले 25 रूपये किलो का रेट रहा पर अब बढ़ गया है ,,!
इसका उपयोग काफी से समान पेय बनाने में किया जाता है ,,जो जोड़ों के दर्द की कारगर दवा है ,,पहले इसे भुना जाता है तब ये कुछ तैलीय पदार्थ छोड़ देता है ,,अब बीज काढ़े के लिए तैयार है ..जो चाय या काफी के समान पिया जाता है ,,पचास फीसद को ये जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचता है ,,जबकि कुछ को ये नहीं भाता ,,इस गुण के कारण ये विदेश में इसकी बढ़ी मांग निकल आई है ,,साल के कुछ दिनों तो ये बीजा बिलासपुर की प्रसिद्ध अमरनाथ की दुकान में 80 से सौ रूपये किलो तक बिका है ,,हैं न ,चौखे रंग वाली बात ,,!

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