शनिवार, 6 दिसंबर 2014

संस्कृति के विकास की धारा





आदिवासी विकास करें और उनका भोलापन उनकी संस्कृति भी बरकरार रहे ये चिंता समाजशास्त्रियों के एक वर्ग को लगी रहती है ,,! उनके लिए ये भली खबर है ,,
स्थान है- बिलासपुर-अमरकंटक सड़क मार्ग.
आयोजन- स्कूल के मैदान में संस्कृतिक आयोजन,,
आयोजन स्थल पर मैंने सजी हुई इनमें एक लोककलाकार से पूछा- तो गोदना दिख रहा है वो असली है क्या ,,वो निश्छल मुस्काते हुए बोली- 'सर हम लोग स्टूडेंट है' ,,!!
फिर उनकी प्रस्तुति का वक्त आया- वही नाचा वही तरीका और गीत जो सालों पहले मैंने बैगा समूह में देखा इस इलाके में सड़क बनने के बाद, रात मस्ती में नृत्यरत देखा था ,,!
लोककला की विरासत पूरी तरह चली आई, बहती मनियारी नदी की धारा के साथ, पहाड़ी हवा की ताजगी और उससे जनित उर्जा इनमे बनी है.. लेकिन अज्ञानता को कही जंगल में इनके ज्ञान ने पीछे छोड़ दिया है ,,,!

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