गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

रतनपुर के किले में लाइट और म्यूजिक शो हो सकता है





छतीसगढ़ की प्राचीन राजधानी रतनपुर के किले का वैभव लौटाने का काम हुआ है। यदि इस किले में दिल्ली के लालकिले की भांति ध्वनि और प्रकाश शो प्रति सन्ध्या टिकट पर दिखाया जाए तो कल्चुरी वंश के साथ छतीसगढ़ के इतिहास और इस विरासत की जानकारी माँ महामाया,खूंटाघाट आये बहुतेरे सैलानियों को सन्ध्या मिला करेगी। इसकी भाषा का माध्यम मीठी बोली छतीसगढ़ी हों सकता है।।
इस किले में सैलानियों के लिए इस शो के लिए बैठने का इंतजाम किले के भीतर हो सकता है, और चारों तरफ इस शो के उपकरण लग सकते हैं। वर्तमान ब्रेल लिपि में किले की कुछ जानकारी दी गई है।। ये बिलासपुर से मात्र 25 किमी पर है। बस इस तरफ पर्यटन और संस्कृति विभाग की पहल जरूरी है, वो ये काम किसी निजी एजेंसी को भी सौंप सकते है।।
कभी उजाड़ हो गया ये किला आज शहर की रौनक है, मत्री आते है और रतनपुर के  विकास की बात करते है,पर बायपास के बाद सड़कें वीरान है, ये ऐतिहासिक नगरी का प्राचीन गौरव वैभवशाली है,इस शो में वह सब जोड़ा जा सकता है ,,! 

मंगलवार, 27 सितंबर 2016

सभागार,और कलाकारों में दूरी ,


हाईप्रोफाइल, स्व लखीराम स्मृति आडिटोरियम अब बिलासपुर शहर की शान है, स्मार्ट सिटी की महत्वपूर्ण जरूरत, पर इसके किये जरूरी गतिविधियों की महती आवश्यकता और माहौल। फिलहाल इसकी कमी है। अगर कमी न होती तो समीपवर्ती राघवेन्द्र राव सभा भवन में कोई आयोजन होता न की हैंडलूम के कपड़े,अचार,खिलौने,प्रदर्शनी के नाम पर विक्रय होते।
बिलासपुर की भूमि उर्वरा है,सत्यदेव दुबे, शंकर शेष, श्रीकांत वर्मा,को भला कौन नहीं जानता, जब तक बीआर यादव और रामबाबू सोन्थलिया रहे, वीणा वर्मा जी का आना जाना रहा, साल में एक दो बार श्रीकांत वर्मा की प्रतिमा पर दीपक जलता पर अब कोई देखने वाला नहीं, डा प्रमोद वर्मा, की याद आज भी ताजा है, डा गजनन शर्मा,पालेश्वर शर्मा, विप्र जी, विस्मृत होने वाले नहीं, पं श्याम लाल चतुर्वेदी, डा सक्सेना, सतीश जायसवाल, मनीष दत्त,इप्टा के कई कलाकार इस शहर को रोशन कर रहे हैं।
बिलासा कला मंच के आयोजन और सोमनाथ यादव की सक्रियता, डा कालीचरण यादव, और हरीश केडिया की संगठन क्षमता इस शहर की पूंजी है। बसन्ती वैष्णव का कथक के प्रति समर्पण,पुष्पा दीक्षित की विद्वता कासानी मिलना कठिन है। अंचल शर्मा का परिवार नहीं, अब वो कला का घराना हो चला है। छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग के अध्यक्ष डा पाठक, गुण सम्पन्न हैं।
सवाल ये है और भी कितनी प्रतिभा शहर में बिखरी हैं, पर सभी सभागार सूने क्यों हैं। रेलवे,कोयल कम्पनी, सिम्स, के अलावा,पण्डित दीक्षित सभागार वीरान क्यों हैं। मुशायरों का दौर भी जाता रहा।
लगता है, बिलासपुर संस्कारधानी नहीं रह गई। कभी बड़े कवि सम्मेलन और उत्सव में रात आँखों में कट जाती थी, आज माल है, बार है, होटल है, पर वह सास्कृतिक महौल नहीं। शून्यता की स्थित बन चुकी है। पर ऐसा नहीं, आज भी काफी प्रतिभा है, जरूरत है, चिन्हित कर एक मंच पर लाके सक्रिय बनने की। ये पहल करनी होगी।। किसी शहर की पहचान, आलीशान इमारतों से नहीं बनती शहर के बाशिंदों के अदब और तहजीब से बनती है।
सवाल है,करोडों रूपये की लागत से बना ये नया सभागार क्या वीरान रहेगा,इसका सञ्चालन कौन करेगा, सांस्कृतिक बयार न बही तो इस आलीशन भवन का नगर निगम के आने जाने वाले परम्परागत अधिकारीयों के हाथों कालांतर किस गति को प्राप्त होगा, फिलहाल तो आशंका के बादल छाये हैं, शायद संस्कृति विभाग के पास कोई दूर की कौड़ी हो।।

बुधवार, 10 अगस्त 2016

महानदी के पानी पर उड़ीसा की नजर, जल आन्दोलन



छत्तीसगढ़ सरकार को अब महानदी सहित अन्य नदियों के पानी को एनीकट बना कर उद्योगों को देने के पहले सोचना होना, सिहावा से निकल कर 858 किलोमीटर का सफर तय करती हुए महानदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। अब महानदी की धारा  उड़ीसा में कमजोर हो रही है। 
ओडिशा बीजू दल की 12 सदस्यीय टीम ने रायगढ़ और बिलासपुर का दौरा किया और परखा क़ि महानदी के पानी को छत्तीसगढ़ सरकार उद्योगों के लिए ले कर उड़ीसा के हित पर कुठाराघात तो नहीं कर रही। बीजद के सांसद प्रसन्ना आचार्य की अगुवाई में छत्तीसगढ़ पहुंची इस टीम का छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने हर जगह विरोध किया। जोगी समर्थकों ने गिरफ्तारियां दी। जांजगीर से CG Wall ने खबर दी है, प्रवास टीम के साराडीह बैराज का अवलोकन का आठ घण्टे जल सत्याग्रह कर विरोध किया गया। इसकी अगुवाई गीतांजलि पटेल ने की।इस पोस्ट में इसकी फोटो उसी खबर से साभार है।
बिलासपुर की अरपा नदी पर बैराज अभी भैंसाझार में बन रहा है। इससे 92 गाँव में 25 हज़ार हेक्टर खेती में सिंचाई होगी। उड़ीसा के सांसद आचार्या ने यहाँ पत्रकारों से साफ किया क़ि, छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए डेम बनाये तो उड़ीसा को दिक्कत नहीं,पर उद्योग को एनीकट बना कर पानी देती है तो महानदी की धार कम होने की चिंता उड़ीसा को लगी है,क्योकि उसके 15 जिलों की यह जीवन रेखा है।
महानदी में इस अंचल की लगभग सभी बड़ी नदिओं का पानी मिलता है, और महानदी पर प्रमुख बाँध रुद्री, गंगरेल,तथा हीराकुद हैं। प्रवासी दल ने सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों की बैठक ली जिसमें जानकारी दी गई कई नियमानुसार 30 फीसद जल ही छत्तीसगढ़ में उद्योगों को दिया जा रहा है।
इस प्रवासी टीम के दौरे से साफ है, महानदी जैसी विशाल नदी भी जल की कमी से सूखने की और है, नदी पर भार बढ़ रहा है। जोगी कांग्रेस ने जिस तरह छत्तीसगढ़ के हितार्थ सामने आई है, वह दूजों के लिए सबक है। साथ ही अब छत्तीसगढ़ को जलप्रबन्ध पर ध्यान देना होगा क्योकि उड़ीसा की नज़र  है।

सोमवार, 25 जुलाई 2016

टाइगर रिजर्व का गाँधी

वो जो झुके कांधों जंगल,
की सड़क पर चल रहा है
यकीन कीजिये उसका कद,
साल के पेड़ों से भी बड़ा है।।
ये हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर पीडी खेरा, जो उम्र के चौथे पड़ाव पर अचानमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के गांव लमनी में रहते हैं और आदिवासी उत्थान के लिए कार्यरत हैं।
वो सन् 1982 के पहले विवि के छात्रों के दल को लेकर बैगा आदिवासियों के सामाजिक अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ के इस इलाके से जुड़े और बाद वो इस जंगल के गांव में कच्चे मकान में वानप्रस्थ बिताने यहां पहुंच गए।
अकेले लमनी गाँव में रहते है और 87 साल की इस उम्र में जीवट हैं। रोज बस से दो घाट पार कर छपरवा जाते है और वहां के छात्र छात्रों को अंग्रेजी और अन्य विषय पढ़ाते है। उनकी मेहनत लगन का फल है की बैगा आदिवासी छात्र अंग्रेजी में अच्छे नम्बर से पास होते हैं जो नौकरी में मददगार भी होती है।
गाँधीवादी खेरा,इस बार मैं और शिरीष गुरुपूर्णिमा पर जब अमरकंटक जा रहे थे तब छपरवा गाँव में एक महिला के कच्चे से होटल में अख़बार पढ़ते और लमनी के लिए बस की प्रतीक्षा में दिखे,गुरुवर को देख हमने कार में साथ ले लिया,पर होटल की मालकिन को ये न भाया, वो क्यों ले जा रहे हैं,इस पर नाराज हो गई, मुझे लगा कि खेरा सर अखबार पढ़ कर उसे दुनिया में क्या हो रहा है उससे अवगत करते होंगे और बस के पहले हम साथ उनके जाने से वो इस ज्ञान से वंचित रह गयी है।
गांधीवादी प्रो खेरा अपने अतीत पर अधिक बात नहीं करते पर सब जानते हैं कि उनके पढ़ाये बच्चे ऊँचे पदों पर दिल्ली में कार्यरत हैं और उनकी एक पाती से वो जंगल और आदिवासी हितार्थ सक्रिय हो जाते हैं। सन्ध्या से रात तक वो थैले में चना,मुर्रा आदिवासी बच्चों को वितरण करते बेरियर के आसपास दिखते हैं, इस तरह बात कर उनको पढ़ने से प्रेरित करते हैं, और गाँवो के दुःख सुख का पता लगा लेते हैं। वानप्रस्थ व्यतीत कर रहे, गुरु पीडी खेरा को मेरा कोटि कोटि नमन।

बुधवार, 15 जून 2016

बैगा आदिवासियों की हितचिन्तक रश्मि का न रह जाना

बैगा आदिवासियों के हकों के लिए लड़ने वाली रश्मि द्विवेदी का आज लोरमी में अंतिम संस्कार कर दिया गया। वो लगभग 55 साल की थीं और सारा जीवन आदिवासियों,दलित शोषितों के लिए संघर्षरत रहीं। फेसबुक प्रोफाइल में रश्मि की ये फोटो लगी है जो किसी बैगा आदिवासी युवती की है।बैगा अत्यंत पिछड़ी जनजाति है।
सन् 85 के आसपास वो मुझसे मिलने नवभारत बिलासपुर आती थीं। एक बार वहां के एक कमजोर दिल आधिकारी ने इच्छा व्यक्त की अब जब रश्मि आये तो मुझसे मिलाना। पर एक दिन जब वो मिले तो रश्मि ने बातचीत में कहा बैगा आदिवासियों की मागों के सन्दर्भ में "कलेक्टर को नोटिस" दिया है। अगला कदम बाद सख्त उठाया जायेगा।S S S
रश्मि के ये तेवर देख बेचारे की घिग्घी बन्ध गई। उसके जाने के काफी देर बाद वो बोले,लड़की नक्सली है।।
मेरी रश्मि से अचानकमार के जल्दा गाँव में पहचान हुई थी तब शेर दिल अधिकारी एम् आर ठाकरे और मैं भोजन बनवा रहे थे। रश्मि पीठ पर बोझा लिये वहां पहुंची और पानी पिया।
दैनिक भास्कर में सम्पादक बना तब रश्मि आई और मेरे दोस्त और पत्रकार सूर्यकान्त चतुर्वेदी और रश्मि के बीच विचारधारा को ले कर लम्बी बहस हुई। वो पीवी राजगोपालन के साथ एकता परिषद में जुड़ीं और जल जमीन और जंगल के लिए पदयात्राऍ भी की। बैगा आदिवासी की वन विभाग के दवारा की गई निर्मम बेदखली को दिखने वो बिलासपुर के पत्रकारों को सूमो में खुड़िया बांध के किनारे जंगल ले गयी। मैं भी था। बाद पता चला वन विभाग के कर्मचारी वर्दी में जंगल नहीं जा रहे। वो लगता है। हमें कुछ और समझ बैठे थे।
पत्रकार निर्मल माणिक भी रश्मि के दिए समाचारों को तरजीह देते।
रश्मि बाद पीयूसीएल में भी कुछ समय पद पर रहीं । लेकिन लोरमी के बैगा आदिवासियों की महापंचायत की संयोजक बनी रही। घर बसाया औलाद भी हुई। पर कुछ समय बाद फिर वो अकेली रह गयी। केन्सर से वे हार गयीं। अपना घर फूंक कर आदिवासियों के लिए सारी जिंदगी कर
लगने वाली इस बहन को इस महाविदाई पर नमन। ॐ शांति।।

सोमवार, 30 मई 2016

अरपा उदगम से संगम तक






दुर्दिन को जीते अरपा नदी के उदगम् को पेंड्रा में दफन कर दिया गया है। और संगम मंगला पसीद पर शिवनाथ नदी बह रही अरपा सूखी है।
बीच भैंसाझार बैराज का ढांचा खड़ा हो रहा है। बिलासपुर शहर की जीवन रेखा अरपा की रेत का उत्खनन पोकलेंन जैसी दैत्याकार मशीन से किया जा रहा है। कई वो जगह है जहाँ रेत नही जमीन नदी की दिखती है।
अरपा बचाओ यात्रा का ये सातवां साल रहा। और इस जत्थे ने इस बार नदी की सबसे बुरी दशा देखी। नदी पर हो रहे अत्याचार की पराकाष्ठा, पेंड्रा में इस बलात्कार की खिलाफत,पर तब जब पानी सर से ऊपर हो गया है। बिलासपुर स्मार्ट सिटी की लाइन में खड़ा है और सपना दिखाया जा रहा है अरपा नदी को लन्दन की टेम्स नदी सा सुंदर बन रहे है।पर फ़िलहाल नदी कूड़ादान है। और सालिड वेस्ट मेनेमेट का कोई पता नहीं। स्वछता अभियान का जिम्मा मोदी जी ने जिनको दिया था वो अपना बाजार समेट चुके। नई दुनिया नई ने सरोवर को धरोहर मान अलख जगाई है पर नदी के मामले शायद उसकी नज़र में नहीं।
रतनपुर कलचुरियों की प्राचीन राजधानी है। यहां के तालाब सूखे रहे, बेजाकब्जा हो रहा पहल कौन करे, सवाल वोट का सबसे बड़ा है।
बिलासा कला मंच के झण्डे तले 14 जिन्दा दिल जनो के इस जत्थे की आस अभी बाकी है और दीवानगी भी। डा सोमनाथ यादव इसके सूत्रधार हैं। गाँव गाँव सन्देश दिया गया, किसान भाइयो अपने खेत विरासत मानो इसे अधिक दाम मिल रहा ये लालच कर न बेचें। पानी बचाये, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम घरों में लगाये।
अब सवाल उन तमाम सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के जिम्मेदार अधिकारियों से--?
नदी की इस दशा के लिए जिम्मेदार कौन है ?
चलो ये मान लिया जाये की आप तो आज आये हैं। पर आज क्या कर रहे हैं? ये जवाब मुझे नहीं चाहिए आप अपने को दीजिये। जनता तो गूंगी है। साहब,कुछ करें नहीं तो आपके बाद आने वाला कहेगा मेरे से पहले वाला चाहता तो कुछ कर सकता था पर उसने कुछ किया नहीं।

मंगलवार, 1 मार्च 2016

पवन दीवान का न रहना ,, भरी दोपहरी सूर्यास्त ,,


संत कवि पवन दीवान का स्मृति शेष हो जाना,[ विचार शक्ति के पुंज का बुझ जाना]
मैं युवा था तब से पवन दीवान जी का नाम 'छतीसगढ़ भ्रात संघ' के गठन के साथ सुना, फिर सन 1971 गुरुदेव राम नारायण शुक्ल जी ने कालेज में काव्य पाठ के लिए बुलाया तो सुना ,, एक थी लड़की मेरे गाँव में चंदा जिसका नाम था,,आज तक याद है,, फिर अग्रज पत्रकार महेंद्र दुबे जी राजिम से बिलासपुर आये तो मुझे उनके साथ काम कंरने का मौका मिला,,वो पवन दीवान जी के करीबी थे,, मेरी भी मुलाकात उनके,,माध्यम हो जाती ,, अजीत जोगी जीकेचुनाव प्रचार में पवन दीवान जी से मुलाकात हुई..! आज भाई ललित शर्मा जी की फेसबुक की वाल से आज दोपहर श्री दीवान जी के स्मृति शेष  होने की खबर पढ़ा तो विश्वास न हुआ लगा भरी दोपहरी सूर्यास्त हो गया है  ,,जो विधाता को मंजूर ,,!

बीते मास कोरबा में छतीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजन में पवनदीवानj पधारे तब मेरे साथ कुछ देर बैठे पर कोई बात होती मंच पर आमंत्रित कanर लिया गया ,, वो मंच पर चले गए , सभा में ताली पिटी तब मंच से आमंत्रित करने वाले ने कहा- जितनी आवाज आप सब की ताली की आई है,, उसे अधिक तो पवन दीवान के एक ठह्के की होगी,, सच है , उनकी बुलंद और दिल से निकली ये आवाज मंच- सभा सबमें ऊर्जा देती.. उनके कथा वाचन में उनकी वाणी और विचारों में सरस्वती की कृपा भी साथ बरसती, श्रोता विभोर हो जाते,,! कुछ ये भी कह सकते हैं ,,उनको राजनीति में नहीं जाना था,, उनकी भीड़ में कहीं मैं भी खड़ा मिलूँगा,,, बहुत दुःख है छत्तीसगढ़ इस प्रतिभा का सही लाभ न ले पाया ,, और एक गगन भेदी ठहका,..मौन हो गया,,!

रविवार, 3 जनवरी 2016

छ्तीसगढ़ में स्ट्राबेरी का बढ़ता दायरा


लाइंन में लगी स्ट्राबेरी 

[डाक्टर  अशोक अग्रवाल अपने  दगौरी फार्म में .]
लोग कहते है बुराई एक दूजे से फैलती है, पर अच्छाई भी फैलती है, मेरे दोस्त रोशनलाल सूरजपुर में स्ट्रबेरी के प्रगतिशील किसान हैं, उनको छत्तीसगढ़ स्तरीय पुरस्कार भी प्रदान किया गया मगर वो इतने तक ही न बैठे, उन्होंने अपने दो साथियों बिलासपुर के बजरंग केडिया के आम उद्यान और डा. अशोक अग्रवाल के दगौरी के फार्म हॉउस में अपने आदमी साथ ला कर स्ट्राबेरी अक्टूबर में लगवाई और बीच-बीच में निरीक्षण भी किया अब दोनों जगह स्ट्राबेरी के फसल हो रही है,, जिसके अगले साल रकबा और बढ़ाया  जायेगा..और स्ट्राबेरी की फसल  किसानों को खेती में एक नया विकल्प भी मिलेगी  ,
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श्री रोशनलाल ज ने ये प्रयोग कर के यह साबित कर दिया की छ्तीसगढ़ के आबोहवा स्ट्राबेरी के माकूल है, उनका कहना है किस सरगुजा से जशपुर तक स्ट्राबेरी की खेती महाबलेश्वर सी हो सकती है बस किसानों के आगे आने की देर है,, कल शिवनाथ नदी की किनारे डा अशोक अग्रवाल के फार्म की स्ट्राबेरी की जायका लिया जो ताज़ी और नदी की कछारी मिट्टी में होने के अधिक मीठी और ज्यादा विटामिन से भरपूर होंगी,,इसकी पैदावार 40 डिग्री सेल्सियस तापमान होने तक होगी .!