मंगलवार, 1 मार्च 2016

पवन दीवान का न रहना ,, भरी दोपहरी सूर्यास्त ,,


संत कवि पवन दीवान का स्मृति शेष हो जाना,[ विचार शक्ति के पुंज का बुझ जाना]
मैं युवा था तब से पवन दीवान जी का नाम 'छतीसगढ़ भ्रात संघ' के गठन के साथ सुना, फिर सन 1971 गुरुदेव राम नारायण शुक्ल जी ने कालेज में काव्य पाठ के लिए बुलाया तो सुना ,, एक थी लड़की मेरे गाँव में चंदा जिसका नाम था,,आज तक याद है,, फिर अग्रज पत्रकार महेंद्र दुबे जी राजिम से बिलासपुर आये तो मुझे उनके साथ काम कंरने का मौका मिला,,वो पवन दीवान जी के करीबी थे,, मेरी भी मुलाकात उनके,,माध्यम हो जाती ,, अजीत जोगी जीकेचुनाव प्रचार में पवन दीवान जी से मुलाकात हुई..! आज भाई ललित शर्मा जी की फेसबुक की वाल से आज दोपहर श्री दीवान जी के स्मृति शेष  होने की खबर पढ़ा तो विश्वास न हुआ लगा भरी दोपहरी सूर्यास्त हो गया है  ,,जो विधाता को मंजूर ,,!

बीते मास कोरबा में छतीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजन में पवनदीवानj पधारे तब मेरे साथ कुछ देर बैठे पर कोई बात होती मंच पर आमंत्रित कanर लिया गया ,, वो मंच पर चले गए , सभा में ताली पिटी तब मंच से आमंत्रित करने वाले ने कहा- जितनी आवाज आप सब की ताली की आई है,, उसे अधिक तो पवन दीवान के एक ठह्के की होगी,, सच है , उनकी बुलंद और दिल से निकली ये आवाज मंच- सभा सबमें ऊर्जा देती.. उनके कथा वाचन में उनकी वाणी और विचारों में सरस्वती की कृपा भी साथ बरसती, श्रोता विभोर हो जाते,,! कुछ ये भी कह सकते हैं ,,उनको राजनीति में नहीं जाना था,, उनकी भीड़ में कहीं मैं भी खड़ा मिलूँगा,,, बहुत दुःख है छत्तीसगढ़ इस प्रतिभा का सही लाभ न ले पाया ,, और एक गगन भेदी ठहका,..मौन हो गया,,!