मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

क्या कांग्रेस लोकसभा चुनाव बाद विपक्ष में बैठेगी ...


चार राज्यों में कांग्रेस की पराजय के बाद अब सवाल उठ खड़ा है की क्या लोकसभा चुनाव बाद कांग्रेस को विपक्ष में बैठना होगा ये सवाल उठ खड़ा हुआ है..ये सवाल उठाना लाजिमी है,सोनिया जी बड़ी मुश्किल से हिंदी में भाषण कर पाती है,मनमोहन सिंह को चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं और राहुल में अनुभव की कमी है.कुछ रही सही कसर दामाद जी ने पूरी कर रखी है, हां प्रियंका में कुछ संभवना दिखती है और दिवंगत इंदिरा जी की छवि भी..!

कांग्रेस भीतरघात हुआ है ये कह कर बच नहीं सकती,हर पार्टी में भितरघातियों की कमी नहीं होती जो हारने के बाद ही उजागर होती है,कांग्रेस में वंशवाद आखिर कब तक,ये सवाल भी अब खड़ा हो गया है,पार्टी के मणिशंकर अय्यर ने आज मुंह खोला है और मनमोहन सिंह की वापसी की बात कही है,और भी सामने आ सकते हैं.


जिस तरह 'आम' ने जमींन से जुड़े प्रत्याशी चयन किये के कांग्रेस ऐसा कर सकती है,सोनियाजी अन्ना के जनलोकपाल ले बिल को न ला सकीं,मनमोहन महगाई पर लगाम न लगा पाए, राहुल का प्रत्यशी चयन का फार्मूला जमीन पर आने के पहले धराशाई हो गया.
कांग्रेस केन्द्रीय स्तर पर संगठन में दूसरी पंक्ति खड़ी न कर सकी है,वो शक्ति का केंद्रीय करण करती गई,पार्टी में लोकतंत्र की हत्या होती गई,प्रदेश के इन चुनाव में मुख्यमंत्री कौन होगा ये भी घोषित नहीं कर कसी.बिना सेनापति घोषित चुनाव लड़ा गया,नीति शास्त्र में लिखा गया है अगर समर में सेनापति नहीं तो जिस भांति चींटियों की पंक्ति तूफान में बिखर जाती है उस प्रकार समर में सेना..आखिर क्या मज़बूरी थी की मुख्यमंत्री का नाम घोषित किये बिना चुनाव समर में उतारने की विवशता बनी..!


लोक सभा चुनाव में अधिक वक्त नहीं, जो करना है आज कर ले कल कांग्रेस के पास वक्त नहीं होगा, पार्टी का नेटवर्क कमजोर है,अच्छे वक्ता नहीं,आखिर कब तक विरासत की पूंजी के आसरे ये सबसे पुरानी पार्टी चलेगी..आपनी पूंजी जुटानी होगी..पर कैसे ये सब होगा ये पार्टी को तय करना है..कोई बड़ी बात नहीं की कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में बड़ी तब्दीली हो जाये..!

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