शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

हर बार बदलता अमरकंटक









अमरकंटक मुझे अपनी और खींचता है,मेरे बिलासपुर नगर से ये एक सौ पचीस किमी पर स्थित अमरकंटक में बचपन से आज तक कितनी बार गया गिन भी नहीं सकता माँ नर्मदा के शीतल जल में न जाने कितनी बार स्नान कर शांतचित हुआ, जिस भांति के नदी के पानी में कोई दूरी बार स्नान नही कर सकता उसी भांति में जब-जब गया नए नज़ारे देखा. इस बार अमरकंटक गया तो जो देखा वो भी नया था..मैं इस ब्लाग में फोटो अधिक दल रहा हूँ ताकि जिसे जरूरत हो वो सदर इसका उपयोग करे और इस तपोभूमि की महत्ता दूर दूर तक पहुंचे..!

फोटो फीचर कई शुरवात करता हूँ गुरुदावारे से..कोई चालीस-पचास साल पहले यहाँ मुनिजी ने गुरुद्वारे की स्थापना की अब जिसका जीर्णोद्धार किया जा चुका है..चूँकि यहाँ से कुछ दूर कबीर चबूतरे में गुरुनानक देव और संत कबीर मिले थे इस वजह इस इलाके कई और अहमियत है..प्रमुख सेवादार हरदीप सिंह ग्रेवल की लगन और आस्था यहाँ देखते बनती है, गुरूद्वारे में सौ से ज्यादा कमरों को आवास सुविधा है..ये कल्याण सेवा आश्रम से लगा है..उदासीन बाबा कल्याणदास गुरुदावारे को पिता और आश्रम को बेटे का घर निरुपित करते हैं,.यहाँ स्वामी शारदानंद जी के प्रयासों से सुंदर आश्रम निर्मित है.

आवास के लिए और भी प्रबंध है..दिसम्बर के अंत या जनवरी में पारा शून्य डिग्री तक पहुँच जाता है..सप्ताह भर भी रुका जा सकता है..देखने को निर्माण हो रहा जैन मंदिर,सरोवर साल के वन है..गर्मी के दिनों इसकी शीतलता बनी रहती है..पैंतीस सौ फिट की ऊंचाई पर अमरकंटक तपोभूमि के रूप से सदियों से प्रसिद्ध है..! 


माँ नर्मदा की उदगम स्थली में प्राचीन मंदिर,कपिलधारा,राह में सरसों के खेत,सघन वन से पश्चिम वाहनी नर्मदाजी का आगे बढ़ते जाना,बंदरों का उत्पात, ये कुछ फोटो संलग्न कर रहा हूँ..

कोई टिप्पणी नहीं: