शनिवार, 14 दिसंबर 2013

धान के समर्थन मूल्य पर राजनीति



छतीसगढ़ में कोई किसान नेता नजर नहीं आता पर इस अंचल के धान उत्पादक किसान को कदाचित इसकी दरकार भी नहीं, ये काम राजनीतिक दल ही वोट बैंक साधने के लिए पूरा के रहे है..दिसम्बर में इन दिनों देर से उत्पादन देने वाली धान की फसल खेतों से खलिहानों तक पहुंच चुकी है,खेतिहर परिवार मिसाई करने में जुटे हैं,ताकि समिति में ले जाके समर्थन मूल्य पर बोनस सहित धान को बेचा जाए.

इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने धान का मूल्य 2100 प्रति क्विंटल करने का वादा किया था और कांग्रेस ने दो हज़ार रूपये प्रति क्विंटल का वादा किया था.चुनाव बाद डा.रमन सिंह ने पहले दिन ही घोषित किया धान पर खरीदी के बाद तीन सौ रूपये प्रति क्विंटल किसानो की तत्काल बोनस दिया जायेगा..! इतना ही नहीं शपथ लेने के बाद उन्होंने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर धान का समर्थन मूल्य बढ़ा कर 2100 प्रति क्विंटल करने के लिए कहा है.


डा. रमन सिंह ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, पहला तो उन्होंने राज्य के बहुसंख्यक धान उत्पादक किसानों को ये सन्देश दे दिया है की वो और उनका दल किसानों का हितचिन्तक है और दूसरा यदि आसन्न लोकसभा चुनाव में यदि धान का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ा तो भाजपा के पास ज्वलंत मुद्दा हाथ में रहेगा. अब गेंदे केंद्रीय कृषि मंत्री चरण दास महत के पाले में है की वो छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए केंद्र में कितना जोर लगा पाते हैं.यदि वे सफल हुए तो भी पहल रमन सिंह ने की है ये श्रेय उनको ही मिलेगा और नहीं सफल हुए तो कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतान होगा..!

हर वास्तु के लागत पर आधारित मूल्य निर्माता तय करता है, पर किसान के साथ ये नहीं,वो तो उत्पादन करता है मूल्य सरकार तय करती है,वो भी राजनीति के मद्देनजर.क्या किसान वोट बैंक बने रहेगे और उनका भाग्य रजनीति कारकों पर आश्रित रहेगा,या  कभी इस राज्य से कोई किसान नेता उभरेगा ..फ़िलहाल ये लगता तो नहीं है..!

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