शनिवार, 14 जून 2014

छतीसगढ़ का किसान परेशान



किसान कर्ज में पैदा होता ही,कर्ज में जीता है और कर्ज छोड़ जाता है,लगता है ये उक्ति उसकी तक़दीर में लिख दी गई है, विपुल धान उत्पादन करने वाला किसान इस बार छतीसगढ़ सरकार की नीतियों में फंस गया है .दुर्भाग्य है की उसके पास कोई 'टिकैत' भी नहीं.! किसान नेता जो पैदा हुए वो राजनीति में जा कर विलीन होता गए.और किसानों का न रहा गए .

धान की समर्थन मूल्य बढ़ने की राजनीतिक दलों ने चुनाव के पहले की थी,सरकार बनते ही डा,रमन सिंह ने केंद्र को धान प्रति कुंतल 2100 करने केंद्र को पाती लिखी पर केंद्र में भाजपा सरकार बनाने के बाद भी ये मामला ठन्डे बस्ते में हैं..!

चुनाव तक सब ठीक था अब नया फरमान जारी हुआ है कि जिन किसानों का पम्प फाईव स्टार रेटिग का नहीं उनको मुफ्त बंद,अब किसानों के सर पर तीस चालीस हजार रुपये का खर्च आ गया है. जिन्होंने आदेश दे पहले पम्प लगाये है वो तो कर्जा भी अदा नहीं कर सके हैं. यदि ये पम्प जरुरी है जो नए कनेक्शन के साथ इस आदेश को प्रभावी किया जाता,अथवा पुराने पम्पों को मिलाने वाली मुफ्त बिजली में दस या पंद्रह फी सदी कमी कर दी जाती ..!

किसान तो गरीब की गाय है पहले वोट बैंक बना कर दूहा,फिर बिजली का रेट बढ़ा कर इस बार जो बिजली के दामो में बढ़ोतरी हुई है उसमे सर्वधिक कृषि के में जहाँ 76 फीसद तक दरें बढ़ा दी हैं..डीजल और खाद के मूल्य में गाहे-बगाहे बढ़ोतरी होती रहती है ,,काश छतीसगढ़ में कोई शुद्ध किसान नेता होता ..![फोटो नेट से]

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