रविवार, 30 नवंबर 2014

चुनावी वादे,ठगा गया किसान,






संत कबीर ने लिखा है ''पकी खेती देखि के गरब किया किसान', किसान को अपने उत्प्दाना पर गर्व है,पर कल दर्शी संत कवीर ने ये भी लिखा है-अजहूँ झोला बहुत है,घर आवे तब जाने,, याने अभी मुसीबत बहुत है घर में दाम आये तो जान,,![आज के सन्दर्भ में]

राजनीति और सरकारी घपलों में किसान ठगा गया कहा गया था दाना-दाना धान सरकार खरीदेगी मूल्य होगा 2100रूपये क्विंटल पर मिलेगा 1360 वो भी मात्र प्रति एकड़ दस क्विंटल सरकारी खरीदी पर बाकी के लिए बाज़ार खुला है जहाँ कम रेट या बिचौलियों के हाथ धान का दाम ..!धान छतीसगढ़ की प्रमुख पैदावार है, मजदूरों की कटाई के समय कमी हो जाती है,तब रश्ते-नाते काम आते है,और एक दूजे के खेत का धान अपना समझ कर काट और उनके खलियान तक पहुंचाते है, इस तरह सयुंक्त परिवार बिखर कर फिर मिल जाते हैं ,, सही अर्थो में ये सब  इस अंचल की संस्कृति का अंग है ,,! 

छतीसगढ़ सरकार धान खरीदी नीति में असफल रही है ,न रखाव के लिए गोदाम न समय पर मिलिंग और बेहिसाब खरीदी घोटाले,जिसे जिसका ठीकरा अब किसान के सर पर फूट रहा है ,,,!! 

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