शनिवार, 26 जुलाई 2014

अनहद तक सूफी गीत संगीत




सूफी गायकों ने अनहद' की शाम को अपने अंदाज से हद से पार तक पहुंचा दिया,श्रोताओं पर उनकी मखमली आवाज का जादू ऐसा चला की वक्त गुजरता गया और पता न चला,खुसरो- बाबा फरीद,बुल्लेशाह,मीरा,कबीर सब याद किये गए,

कारगिल विजय के शहीदों,ईद के आगमन और हरेली की रात के नाम मीडिया-मित्र तथा अंचल शर्मा म्यूजिकल ग्रुप का यह आयोजन यादगार बन गया,मुम्बई से कलाकार,सार्थक रायकवार और वतन धूरिया भी बिलासपुर के कलाकारों के साथ ड्रमर व सिंथेसाइजर पर रहे,

शुरुवात में पत्रकार राजेश दुआ ने अनहद' के साथ सूफीवाद का संबध जोड़ते हुए कहा-सूफीगीत संगीत व नृत्य देश  और समय की सीमा से परे सदियों से ईश भक्ति का मध्य रहा है और रहेगा ..नृत्यांगना योशा शर्मा की प्रस्तुति मोहक रही,सही मायने में छतीसगढ़ में बिलासपुर के गायक अंचल शर्मा का परिवार अब एक 'घराने' के रूप में सामने आ चुका है,मास्टर शगुन शर्मा,व बेबी माहुरी शर्मा ने उस्ताद राहत  फ़तेह अली खां लेकर रेशमा की गायकी को हुबहू पेश किया.

आयोजन में रान्य के मत्री अमर अग्रवाल ने दोस्तों के साथ शिकरत की संचालन युगल शर्मा ने किया,'मीडिया-मित्र' के विश्वेश ठाकरे,राजेश अग्रवाल,दिनेश ठक्कर आयोजन की सफलता में जुटे रहे.! नैनों की मत सुनियों रे ,,नैना ठग लेगें, शाहे समुन्द्र..खाव्जा जी.,इश्क ने मारा..बड़ी लम्बी जुदाई,जैसे सूफी गानों की दिलकश प्रस्तुति जिस अंदाज से दी गई वो भरे हुए प्, दीक्षित सभा भवन में हाजिर श्रोताओं को याद रहेगी ,,!

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