शनिवार, 5 जुलाई 2014

धान के खेतों पर महंगाई की बदली


बादल तो बरस नहीं रहे पर महंगाई की बदली छतीसगढ़ के किसानों पर छाई है, असिंचित खेतों में विरानगी है और उनको अब देर से बारिश होने पर फसल पिछड़ने या भी उत्पादन कम होने की आशंका खाए जा रही है,,जिनके पर खेतों में निजी संसाधन सिंचाई के हैं, वे \ किसान धान का रोपा लगा रहे हैं..! बीते साल उन्होंने नर्सरी से धान निकल खेतों में 2300 रूपये प्रति एकड़ मजदूरी दी थी इस बार 3100 रूपये प्रति एकड़ लगवाई दे रहे हैं..फिलहाल कृषि आभियान ने जोर नहीं पकड़ा,जोर पकड़ते है ये मजदूरी चार हजार रूपये प्रति एकड़ होना तय है ,,!

छतीसगढ़ में कहावत है, 'आषाढ़ के चूके किसान और डार के चूके बंदर' का एक ही हाल होता है. आषाढ़ अब चला चली के बेला में है,धान खरीदी का समर्थन मूल्य चुनाव के समय दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने दो हजार रूपये प्रति क्विंटल  से अधिक की बात की थी, सीएम डा.रमनसिंह ने इस बार शपथ लेते ही धान का खरीदी मूल्य 2100 रूपये प्रति क्विंटल करने की मांग केंद्र से की है ,बीते बरस ये मूल्य 1300 था इस बार ये मूल्य मात्र 50 रुपए क्विंटल ही अब तक बढ़ा है..!

रोपा लगाई के अनुपात में कटाईऔर मिसाई से काम की दरें भी बढ़ना तय है .फिर डीजल. उर्वरक और अन्य कृषि सामग्री भी महंगी हो रही है,ऐसी प्रतिकूलता में धान खरीदी की मूल्य में हुई ये बढ़ोतरी ऊंट के मुंह में जीरा तुल्य है.!

चुनाव के पहले भाजपा ने घोषणापत्र में धान में प्रति क्विंटल 300 बोनस देने का वादा किया गया था बाद जानकारी दी गई है की 15 जुलाई तक इसका आधा बोनस किसानों को मिल जाएगा यह अभी तक नहीं मिला सका है ,,!

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