शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

छतीसगढ़ में ग्रीन हॉउस कांसेप्ट



'उद्यानिकी के मन्दिर में ग्रीन हॉउस का दीपक रायपुर के बाना में प्रज्वलित हो रहा है, भविष्य में पता चलेगा विकास का ये आलोक कितने खेतों तक पंहुंचा और किसानों ने कितना लाभ पाया, इसका लाभ अगर किसानों तक पंहुचा तो बेमौसम सब्जीयों का उत्पादन होगा और ये सब्जियां महंगाई न रहेगी ,,!

सूरजपुर के स्ट्राबेरी के किसान रोशनलाल अग्रवाल उनके सुपुत्र कैलाश बिलासपुर के आम उत्पादक बजरंग केडिया के साथ कल में शासकीय उद्यान रोपणी,बीज प्रगुणन प्रक्षेत्र बाना पहुंचे,यहाँ उपस्थित अधिकारी चिंताराम साहू ने बताया ,,किसी प्रकार आटोमेटिक मशीन बीज का एक एक दाना विषाणु रहित मिट्टी वाली प्लेट में लगा कर पानी डाला दिया जाता है ,,अब इन ट्रे को ग्रीन हॉउस में कतार में बीजों को रोपणी तैयार होने के लिए लाईनों में लगाया दिया जाता है ,,यहाँ की आबोहवा आदमी के हाथ है ,,वो कम ज्यादा करता उस मौसम में ले आता जो इसके अनुकूल होता है ,,!
इसके लिए पाली छत में और नेट का उपयोग किया गया है ,,!

बेमौसम रोपणी तैयार होने से किसानों को फसल होने पर अधिक मोल मिलता है और अधिक बेमौसम अधिक उत्पादन से इन सब्जयों के भाव कम..इस प्रक्षेत्र के लिए 70 एकड़ भूमि है ,ग्रीन हाउस दो एकड़ में है जिनमें फूलों का उत्पादन कैसे हो ये सिखाया बताया जाता है ,,,! किसानों को एक बार इस तकनीक को बाना पहुँच कर देखना चाहिए ,,यहाँ उद्यानिक विभाग के संचालक भुनेश यादव की देखरेख में काम हो रहा है ,और किसान ग्रीन हॉउस के इस कांसेप्ट को देखने पहुँच रहे हैं ,,!इस पर सरकारी अनुदान भी है ,!

एक सुखद आश्चर्य- यहाँ हम सब को समझा दिखा रहे अधिकारी जब ये पता चला तो मैं किसान चमनलाल चड्ढा का पुत्र हूँ, तब उससे अपने साथी से मेरे सामने पूछा- हम लोगों ने नौकरी की शुरुवात में बिलासपुर में कहाँ ट्रेनिग ली ,,साथी ने जवाब दिया 'चड्डा कृषि फार्म में ,,पर आज मेरे हिस्से को छोड़ बाकी वीरान है ,और शेष भाई पैतृक जमीन पर बिल्डर बन गए ,,!

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