गुरुवार, 1 जनवरी 2015

जिनके तन और मन में राम बसा है






''पूरे तन में राम के नाम का गोदना, सर पर मोर मुकुट,रामनाम की चदरिया में घुंघरू की लटकन,राम-राम के कीर्तन में जीवन काट रहे रामनामी समाज के वार्षिक मेले का कल बलौदा बाज़ार जिले के कोदवा गाँव में तीन दिनी मेले का शुभारम्भ कलश यात्रा के बाद हुआ.
महानदी के किनारे रामनामी समाज में रामनाम गोद्वाने वालो की कमी अब दिखने लगी है,मगर मेले में भीड़ बढ़ाने लगी है ,,इस समाज में लाखों है ,पर पूरे तन में गोदना किये हजार के आसपास हो सकते है ,,,! नई पीढ़ी में इस गोदना के प्रति रुझान कम है..पर राम नाम के प्रति श्रध्दा बढ़ी  है ..!!
जानकारी के मुताबिक़ पहला मेला 1911 में पूस माह की एकादशी से त्रयोदशी तक गाँव पिपरा में आयोजित किया गया,फिर तब से महानदी के किनारे इस मेले के आयोजन किया जाने लगा. इनको आबादी महानदी के दोनों तरफ बसी है ,,मेला अमूनन नदी के एक किनारे के बाद अगले साल दूजे किनारे के गाँव में भरता है जिसका चयन मेले में एक साल पहले ही कर लिए जाता है .
मुख्य रूप से ये किसान हैं..! ये शांति प्रिय है और परस्पर राम राम कह कर एक दूजे का करते हैं, ,,बताया जाता है, किसी दिव्य पुरुष ने सन 1888 में राम नाम को अपनने को सलाह दी थी और तब से गोदान के माध्यम उन्होंने नाशवान तन पर गोदना करवाना शुरू किया जो मरने के बाद भी उनके साथ जाता है ,,! ऐसी श्रद्धा को कोटि प्रणाम !

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