सोमवार, 29 सितंबर 2014

माँ प्रतिमा के चोर वर्षों बाद कानून से परे

''माँ की जितनी सुंदर मूरत ईसा पूर्व दो शताब्दी की नगरी मल्हार में है वैसी मैंने कही नहीं देखी,काले ग्रेनाईट पत्थर पर बनी इस प्रतिमा का डिड़िनेश्वरी [वन्दनचरणी माँ पार्वती] की माना जाता है, माँ की ये प्रतिमा 10-11शताब्दी की है,,माँ की प्रतिमा का मुख इस काल के पातालेश्वर शिव मन्दिर की तरफ है. ये महज संयोग नहीं हो सकता..! ये दोनों मंदिर बिलासपुर से 32 किमी दूर मल्हार में हैं ! इस नगरी मे पुरा सामग्री का खजाना है ,,!

यहाँ के पुजारी ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्र में 3600 ज्योतिकलश प्रवलित किये गए है एक ज्योतिकलश अमेरिका में बसे प्रतिष्ठित शुक्ल परिवार की तरफ से हर बार प्रज्वलित किया जाता है,ये परिवार के कुछ सदस्य इस बार दर्शन के लिए आने वाले थे..! मल्हार में कभी शैव,शक्त,वैष्णव,जैन धर्म साथ साथ पनपे थे ,आज ये प्रतिमाओं की नगरी है,,!

[इस प्रतिमा के प्रति श्रध्दा का असीम भाव है ,,पर एक दर्द भी है --मूर्ति चोरों के पहुँच वाला गिरोह इस प्रतिमा को 18 अप्रेल 1991 की रात चोरी कर मेनपुर उतरप्रदेश ले गया ,आसपास के सारे गाँव शोक में डूब गया ,पुलिस ने जनभावनाओं को समझा और प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया और एक माह बाद 19 मई को प्रतिमा खोज निकली एक फोटोग्राफर पकडाया जो इस प्रतिमा की फोटो के कर गया था पर नामजद मुख्य आरोपी व् अन्य आज तक पुलिस की गिरफ्त से दूर है..अब हर सात जून को यहाँ पुन;प्राण प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है ,,!]

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