रविवार, 21 सितंबर 2014

हस्तकला का कोई सानी नहीं ,,




''हस्तकला को चाहने वाले कम नहीं,पर इन्हें गढ़ने वाले हाथ और खरीददार में दूरी बनी हैं,ये बात हर हस् कला शिल्पी मनाता है, पंचधातु की महंगी प्रतिमा से कर चंदेरी साड़ी या फिर खजूर की कोमल पत्ती से गुलदस्ता बनाने वाले सभी कारीगर मानते हैं, अच्छा बाजार इन कलाओ के विकास को और विकसित होने का अवसर देगा ,,!

ये कलाकार मप्र की 'मृगनयनी' की प्रदर्शनी का हिस्सा बने इन दिन बिलासपुर के राघवेन्द्र हाल में एक छत के नीचे अपनी हस्तकला को ले कर पहुंचे हैं,उनके चाहने वाले और खरीददारो का मेला लगा रहता है,पंचधातु निर्मित मूर्तियों का पीढ़ी दर पीढ़ी बनाने वाले घराने का नितिन सोनी यहाँ महँगी प्रतिमा भी लाया है, वे टीकमगढ के हैं. प्रतिमा ढालने की लम्बी प्रकिया है,पर ये मूर्तियाँ स्थाई बनती है, जबलपुर के संगमरमर का प्रतिमा और सन स्टोन का काम करने वाले जयप्रकाश,या फिर खजूर की पत्तियों का आकार देने वाले महादेव और उसकी पत्नी रेखा तिलंगे सभी अपनी हस्त कला में माहिर हैं,! महिलाएं जिज्ञासा से पूछती हैं-चंदेरी की कौन सी साड़ी करीना ने ली थी ,,!

ये परम्परागत कला उनको विरासत में मिली है, इस प्रदर्शनी के प्रबन्धक एम् शर्मा का मानना है की चीन सहित कोई विदेशी आयात इनकी कोई स्पर्धी नहीं ये मौलिक विरासत है कोई इलेक्ट्रॉनिक आईटम नहीं जो कल कुछ और थे आज कुछ दूसरे ,,!
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