सोमवार, 22 जुलाई 2013

टीवी से घर तक सांस्कृतिक प्रदूषण



अमरकंटक की ऊंचाई ने मुझे गहरे से प्रभावित किया है, पश्चिम वाहनी माँ नर्मदा की चंचल धारा देखने को जी ललचाता रहा है, अभी किशोर भी नहीं हुआ था की राजदूत बाईक से शिवरात्री के मेले पर अमरकंटक पंहुचा जाता.. में नवभारत में रहा तो एक बार तपस्वी बाबा कल्याणदास से पत्रकार वार्ता के दौरान उनकी सकारत्मक सोच देख कायल हो गया. गुरु पूर्णिमा में उनका प्रवचन सुना तब मैं कोशिश करता की इस दिन यहाँ पहुँच सकूँ, इस बार तो तबियत ठीक न थी पर प्रबल इच्छा ने यहाँ निजी साधनों से पहुंचा दिया.

अमरकंटक के प्रति मेरी दीवानगी की इंतिहा मई 1997 में हो गयी जब में दैनिक भास्कर में सम्पादक था, मैं रोज तड़के सूमो से पत्रकारों के साथ संत मुरारी बापू की नर्मदा के तट पर राम कथा सुनने निकलता और शाम आ कर रिपोर्ट बनता..अगले दिन प्रकाशित अख़बार को ले कर जाता ये सिलसिला नव-दस दिन चला..!

हरी-भरी वादियों में निर्मित अपने आश्रम में बाबा कल्याण दास ने गुरुपूर्णिमा के अवसर पर महिमा प्रतिपादित करते हुए, कहा- गुरु शिष्य को अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है, इसलिए गुरु का संत्संग पुण्यदायी होता है, गुरु के सामने सब बच्चों के समान हैं. किसान मेहनत करके खेत करता है उसके खरपतवार को नष्ट करता हैं. फिर जब फसल पैदा होती है तो वो हर्षित होता है..इस सब ने उससे किसी किसी का मार्ग मार्ग दर्शन जरुर होता है.

आज घर-घर टीवी सांस्कृतिक प्रदूषण पैठ कर रहा है,आरती के वक्त टीवी चलता है,बच्चे कहते हैं आरती तो बाद में हो सकती है पर चैनल में ये फिर नहीं आएगा ..! बाबा ने आगाह किया की वक्त है की भारत अपने मूल्यों की रक्षा करे. इसमें गुरु का योगदान सभी मानते हैं. गुरु ही मानव को उसकी ऊंचाई तक ले जाता है,
गुरुपूर्णिमा के पुनिया अवसर पर हिमान्द्री मुनि जी राजेन्द्र बह्म्चरी, स्वामी निरजन मुनि,नेपाल से पधारे pro सुरेश शर्मा स्वामी महेश्वरनन्द के अलावा रायपुर के डमरूधर अग्रवाल. भुनेश्वर के रमेश कुमार अग्रवाल, सहित अनेक श्रद्धालु महिलाये और पुरुष शामिल थे इस अवसर पर बाबा कल्याण दास ने भगतों को दीक्षित किया गया..!

1 टिप्पणी:

Rahul Singh ने कहा…

जय गुरुदेव.