बुधवार, 10 अगस्त 2016

महानदी के पानी पर उड़ीसा की नजर, जल आन्दोलन



छत्तीसगढ़ सरकार को अब महानदी सहित अन्य नदियों के पानी को एनीकट बना कर उद्योगों को देने के पहले सोचना होना, सिहावा से निकल कर 858 किलोमीटर का सफर तय करती हुए महानदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। अब महानदी की धारा  उड़ीसा में कमजोर हो रही है। 
ओडिशा बीजू दल की 12 सदस्यीय टीम ने रायगढ़ और बिलासपुर का दौरा किया और परखा क़ि महानदी के पानी को छत्तीसगढ़ सरकार उद्योगों के लिए ले कर उड़ीसा के हित पर कुठाराघात तो नहीं कर रही। बीजद के सांसद प्रसन्ना आचार्य की अगुवाई में छत्तीसगढ़ पहुंची इस टीम का छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने हर जगह विरोध किया। जोगी समर्थकों ने गिरफ्तारियां दी। जांजगीर से CG Wall ने खबर दी है, प्रवास टीम के साराडीह बैराज का अवलोकन का आठ घण्टे जल सत्याग्रह कर विरोध किया गया। इसकी अगुवाई गीतांजलि पटेल ने की।इस पोस्ट में इसकी फोटो उसी खबर से साभार है।
बिलासपुर की अरपा नदी पर बैराज अभी भैंसाझार में बन रहा है। इससे 92 गाँव में 25 हज़ार हेक्टर खेती में सिंचाई होगी। उड़ीसा के सांसद आचार्या ने यहाँ पत्रकारों से साफ किया क़ि, छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए डेम बनाये तो उड़ीसा को दिक्कत नहीं,पर उद्योग को एनीकट बना कर पानी देती है तो महानदी की धार कम होने की चिंता उड़ीसा को लगी है,क्योकि उसके 15 जिलों की यह जीवन रेखा है।
महानदी में इस अंचल की लगभग सभी बड़ी नदिओं का पानी मिलता है, और महानदी पर प्रमुख बाँध रुद्री, गंगरेल,तथा हीराकुद हैं। प्रवासी दल ने सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों की बैठक ली जिसमें जानकारी दी गई कई नियमानुसार 30 फीसद जल ही छत्तीसगढ़ में उद्योगों को दिया जा रहा है।
इस प्रवासी टीम के दौरे से साफ है, महानदी जैसी विशाल नदी भी जल की कमी से सूखने की और है, नदी पर भार बढ़ रहा है। जोगी कांग्रेस ने जिस तरह छत्तीसगढ़ के हितार्थ सामने आई है, वह दूजों के लिए सबक है। साथ ही अब छत्तीसगढ़ को जलप्रबन्ध पर ध्यान देना होगा क्योकि उड़ीसा की नज़र  है।

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