बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

मूक जानवर भी हमसे बात करते हैं

[ स्वच्छता दिवस पर एक अनुभव]

ये सत्य घटना इसी सप्ताह की है, मैं गोलबाजार की कथित पार्किग पर बाइक खड़ा कर गया था,यहाँ एक मस्जिद और कुछ गोदाम व दुकानें और घर है ,,पार्किग और लगी में गंदगी ' बिलासपुर की समस्या है,,!
जब में वापस आया तब एक गाय बाएं पैर से लंगड़े हुए आई और मेरी बाइक के पीछे खड़ी हो गई.. मैंने दूलारा भी धकेल के हटाना चाहा तो भी वो न हटी,दो बार यही कुछ किया पर वो न टली..!
मैंने गौर से देखा उसके खुर के साथ एक छोटी से लकड़ी बाहर की तरफ है ,,मैं माजरा समझ गया पेटी की इस लकड़ी के साथ कील भी होगी जो खुर में चुभी है.. शायद इस वजह वो लंगड़ा रही है..!
डर था इसे निकलने झुकूं तो गाय मार न दे..फिर उपाय सूझा मैंने अपना पैर पेटी की उस लकड़ी पर दबा रखा और गाय को हटाया ..कील सहित लकड़ी रह गई और गाय हटा गई. फिर गाय लंगड़ाते चली गई जख्म शायद हरा था या गाय का पैर ठीक नहीं था..!
जो भी मैं फिर दूसरे दिन कैमरा ले कर गया पर गाय नहीं मिली ये फोटो उसी रंग की दूसरी गाय की है ..!
इस कहानी में मुझे एक सीख दी 'स्वच्छता दिवस पर.. हमारी लापरवाही किस तरह मूक पशुओं पर मुसीबत बरपाती है ,,!!
हम गाय को माँ का दर्जा देते है..इस मूक माँ को कचरे से बचाओ..!

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