गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

निष्पक्ष चुनाव:शराब वितरण रोकने महिलाओं को दे जवाबदारी


चुनाव सुधार की प्रकिया निरंतर जारी है, इस बार ‘कोई पसंद नहीं’ के लिए भी वोटिंग मशीन में बटन होगा. पर इतना ही काफी नहीं है, चुनाव प्रचार बंद होने के बाद मतदाताओं को लुभाने अथवा ये कहा जाये, मतिभ्रमित करने शराब का जिस बड़े पैमाने में किया जाता है, उसके सामने मतदान की निष्पक्षता दम तोड़ देती है,, जिस शराबबंदी की बापू हिमायत करते थे वो शराब मतदान के बाद नतीजों पर निर्णायक भूमिका निर्वाह कराती चल रही है !

समाज में इतनी जागरूकता आई है की गाँव की महिलाएं अवैध शराब विक्रय की रोकथाम में वो कठोर कदम उठती दिखने लगी है, वो शराब के खिलाफ समूह बन कर कलेक्टर के दरवाजे पर दस्तक देती हैं, गाँव में शराब पीने वालों को सबक सिखाती है, यहाँ तक शराब ठेकेदार के गुर्गे भी उनसे दूरी बना कर चलते है. ये है नारी सशक्तिकरण, नारी जान चुकी है कि, शराब ने उनके घर का बजट बिगाड़ा है.और नशे के दुष्परिणाम क्या हैं, चुनाव आयोग महिलाओं की इस ताकत का आसन्न चुनाव में बखूबी उपयोग कर सकता है जिसके सकारात्मक नतीजे चुनाव परिणाम मिलाना तय है.

नामांकन दाखिले के साथ चुनाव आयोग शराब फैक्ट्री, से लेकर शराब ठेकेदारों पर नजर बनाये कि  मदिरा की कोई बड़ी खेप किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार तक न तो नहीं पहुँच रही है.आम अवधारण बन चुकी है कि ये शराब मतदान को प्रभावित करती है. मतदान के पहली रात शराब किसी की हार को जीत में बदल देती है, शराब और बकरा गाँव में प्रत्याशी की तरफ से वितरण कारने की परिपाटी इस तरह पैठ कर चुकी है कि कुछ मुहल्लों के मतदाता मांग करते हैं या गरीब वर्ग के मतदाता इसके लिए आस लगा के बैठे रहते है.

संविधान में हर बालिग़ कोएक देने का अधिकार है, ऐसी दशा में किसी के विवेकपूर्ण मतदान,दूसरी तरफ किसी नशे में डगमगाते का वोट भला कैसे बराबर हो सकता है. कुछ तो वोट डालने के बाद राह में गिरे-पड़े दिखते हैं. इनको अपने वोट की अहमियत का ज्ञान आज तक नहीं है. कोई ये देखने वाला भी नहीं होता की मतदान करने वाला क्या मतदान केंद्र में शराब पी कर 'भारत भाग्य विधाता बना' हुआ है. न जाने ये सिलसिला कब थमेगा..चुव सुधार के लिए प्रकिया सतत चल रही है आशा की जा सकती है चुनाव आयोग यदि चाहे तो एक दिन ऐसा आएगा जब 'महिला समूह'  गाँव-गाँव में मतदान के पहले वितरण होने वाली शराब को रोकने में कामयाबी होंगी पर उसके लिए प्रशासन और चुनाव आयोग दवारा  'महिला समूहों' को प्रोत्साहित करने की ठोस योजना को प्रभावी तरीके से लागू करनी होगी ..!


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