शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

नव भारत का बिलासपुर से प्रकाशन .


नवभारत समूह के संस्थापक श्री रामगोपाल माहेश्वरी को रायपुर में अमृत सन्देश के प्रारम्भ होने की कोई चिंता नहीं थी, अलबत्ता नवभारत रायपुर के अर्से तक सर्वोसर्वा रहे गोविन्दलाल वोरा के अलग होने के दुःख जरूर थे.ये उनने मुझसे साझा की थी. ये बात  अगस्त 1984 की है,वे मुम्बई हावड़ा मेल से कोलकाता जा रहे थे. मैं उनसे रेलवे स्टेशन मुलाकात करने गया था.

 ये पत्रकारिता का वो काल जब बिलासपुर से नवभारत के प्रकाशन की संभावना उदित हो चुकी थी, जिसके साथ बिलासपुर पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने पांव पर खड़ा होने की तैयारी पर था. नवभारत बिलासपुर में प्रसार की हिस्सेदारी किसी दूसरे अख़बार के देने के लिए राजी न था. कुछ दिनों बाद रायपुर से नवभारत के तत्कालीन  सम्पादक सुरेन्द्र शर्मा बिलासपुर आये, उन्होंने बिलासपुर नवभारत के ब्यूरो चीफ महेंद्र दूबे,प्रसार प्रमुख राजमणि तिवारी तथा मुझे बिलासपुर से नवभारत के प्रकाशन की जानकारी दी. मैं तब महेंद्र दूबेजी का सहायक था.

कुछ दिनों में प्रकाश महेश्वरी आये और उन्होने अपने मित्र अशोकराव जी से मुलाकात करके प्रताप टाकीज के करीब ‘राव साहब का बंगला’ नवभारत के प्रकाशन के लिए तय कर दिया. यहाँ कुछ दिनों पहले तक राज्य परिवहन निगम का दफ्तर था. इस बीच लोकस्वर से जुड़े श्री बजरंग केडिया को नवभारत का व्यवस्थापक नियुक्त कर दिया गया. प्रकाशन स्थल कचरे से अटा था.यहाँ आगे कमान  की डोर तेजतर्रार माहेश्वरी  परिवार के  विनोद माहेश्वरी ने सम्भाली. उन्होंने तयकर दिया गया इसी सितम्बर मास में बिलासपुर से नवभारत का प्रकाशन होगा. सम्पादक कमल ठाकुर बने, ,मुझे समन्वयक का पद सौंपा गया. एक तरफ मशीनें  उतरने लगी तो दूसरी तरफ सम्पादकीय विभाग में साथी बढ़ने लगे ,के.के सिंह,रामगोपाल श्रीवास्तव ,राजेश शर्मा,किशोर दिवसे,सईदखान,सीतेश दिवेदी,अनिल पाण्डेय, सूर्यकान्त चतुर्वेदी की नियुक्ति हो गई.और भी कुछ साथी जुड़ते गये . विनोद जी ने  तय कर दिया गया कि  26 सितम्बर को प्रथम अंक निकला जायेगा.[बाद दिनेश ठक्कर ,राजू तिवारी, केके शर्मा भी साथ हो गये..और फिर काफिला बढ़ता गया]

प्रथम अंक के पहले प्रकाश माहेश्वरी तथा विनोद माहेश्वरी ने संवादाता और एजेंटों को होटल चन्द्रिका में बैठक ली.प्रकाशन के पहले कुमार साहु जी और कौशल शर्मा भी पहुँच गए. सब ठीक था,समय पर पेज जा चुके थे ,तक वेरीताईपर का युग था ,बटर पेपर के बजाय फिल्म पर मेटर निकलता और पेस्टिंग होती.छापी शुरू हुई की मशीन का बेल्ट टूट गया. पर विनोद जी ने रायपुर से अनल शुक्ला को फोन कर रातों-रात बुलाया और छपाई सुबह तक पूरी हो गई.

फेक्ट फाईल-.*पहले दिन इस संस्करण का कुल प्रसार सोलह हजार था,बिलासपुर नगर में चार हज़ार कापी.
          *ये प्रसार रायपुर नवभारत से विरासत में मिला था.
          *विज्ञापन मासिक आय दो लाख के करीब ..!
          *शुरुवात में काफी प्लेट मेल से शाम रायपुर से बन कर आती.फिर कम होती गईं. 
नवभारत पर हमला- प्रकाशन के कुछ माह में एक दिन मैं और राम गोपाल श्रीवास्तव जी शाम दफ्तर पहुंचे तो केडिया जी के चेम्बर में तेज आवाज आई ऐसा लगा कांच टूटा है,मैंने देखा दो युवक उग्र हो केडिया जी से उलझने में लगे हैं. मैं बजरंग अखाड़े में दुलारू उस्ताद का चेला रहा,मैंने एक  को पकड़ धोबी पाट लगा.फिर केडिया जी और सारे स्टाफ ने जमीं से उठने न दिया, दूसरा भाग निकला.पता चला वे किसी समाचार से खफा थे और सबक सिखने आए थे.उनके अपराधो के सूची को देखते हुए उनको मीसा में बंद कर दिया गया. नागपुर से विनोद महेश्वरी जी ने बिलासपुर पहुँच प्रशासन का धन्यवाद ज्ञापन किया .