फूलों से लगाव किसे नहीं होता,पर बिलासपुर के उद्यमी शाह परिवार की बात निराली है ..मेरे मित्र सतीश शाह का कहना है, ये शौक उनके परिवार को पिताश्री गौरीशंकरजी से विरासत में मिला हैं ,तब वे चाईबासा में रहते थे ,पिता रोज अपने बच्चों से बागवानी में काम करते ,,बाद सतीश शाह ने बाटनी में एम् एस सी की और बाद कारोबार के सिलसिले में बिलासपुर में आ कर बस गये ,,उनकी वाटिका शहर से कोई नौ किमी दूर चिरिदा रोड में छ एकड़ में है, यहाँ डेयरी है और घर के लिए सब्जी भी जैविक खाद पर उगते है ,,वे रोज सुबह अपनी वाटिका में पहुँच जाते हैं ,,शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती भी उनके इस फार्म हॉउस में पधारे और उन्होंने इस वाटिका का नाम 'कुञ्ज कुटीर' दिया ,,उनके दो भाई हरीश ,गिरीश सहित शाह परिवार की रूचि का फूल और फलों में है सबने यह यहाँ मीठे आम नारियल ,शहतूत, बांस रुद्राक्ष , बेर के अलावा दुर्लभ पेड़ और जडीबुटी के पौधे भी लगाये गए हैं ,,! |
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