'दो पीढ़ियों के बीच बिगड़ते रिश्ते और समाज में अशांति का प्रमुख कारण आज संस्कारों की कमी है, जिस वजह नैतिक मूल्यों में गिरावट हो रही है,संस्कारों की महत्ता को प्रतिपादित हुए तपस्वी बाबा कल्याण दास ने मानव जीवन में संस्कारों की आवश्यकता को रेखांकित किया..!
बाबा कल्याणदास अमरकंटक स्थित अपने आश्रम में गुरुपूर्णिमा के पुण्य अवसर पर श्रधालुओं को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने कहा- जन्म दे मृत्यु तक सोलह संस्कारों का जीवन में महत्व आज भी बना है,,! गुरु शिष्य संबधों पर उन्होंने कहा- गुरु को ब्रह्मा,विष्णु महेश कहा गया हैं,गुरु अपने शिष्य में आचार विचार और व्यवहार से सस्कारों का रोपण कर उसके जीने के सही मार्ग को तय करता है,उसे अज्ञान से ज्ञान ओर अन्धकार से प्रकाश की तरफ ले जाता है.
बाबा ने कहा -भारतीय संस्कृति में कई उत्सव है पर गुरुपूर्णिमा का दिन विशेष महत्व रखता है,जिस तरह किसान खेतों में बीज का रोपण करता है उसी तरह गुरु भी शिष्य के विचार-व्यवहार में संस्कारों का रोपण करता है. इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों से श्रद्धालु उपस्थित रहे, इनमें संस्था के ट्रस्टी डमरूधर अग्रवाल,लखन लाल अग्रवाल. विधि वेत्ता रवि नंदन सिंह,सुभाष अग्रवाल.बजरंग केडिया,रामेश्वर अग्रवाल,सज्जनकुमार,रोशनलाल अग्रवाल,मातादीन अग्रवाल प्रभुति प्रमुख थे..!
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