''छतीसगढ़ में आम अब चला-चली की बेला में है और हिमांचल का आडू बाज़ार पंहुचा है.
मेरे मित्र बजरंग केडिया ने आम और सूरजपुर में रोशनलाल अग्रवाल ने आडू ली पैदावार लेकर ये साबित कर दिया है की ये 'छोटा राज्य' फल उत्पादन के मामले में विपुल मुनफे कीसंभावना से परिपूर्ण है,उसका प्रमुख कारण ही यहाँ की आबो-हवा का इन दोनों फसलों के लिए माकूल होना,,!
छतीसगढ़ में आबोहवा के कारण यूपी से पहले आम और हिमांचल से पहले आडू की पैदावार हो जाती है,इस दोनों किसानों न ये साबित कर दिया है,,ये बाजार का दस्तूर है, जो पैदवार पहले बाजार पहुँचती ही उसका मोल अधिक होता है ..वो भी एक माह पहले..! बिलासपुर के केडियाजी के बागन से तो इस बार करीब पन्द्रह लाख के आम निकले ,,सूरजपुर में स्वीट कार्न स्ट्राबेरी की व्यवसायिक खेती करने वाले रोशनलाल जी भी अब आडू के पेड़ बढ़ाने में लगे हैं,,!
अगर डा.रमन सिंह जी की सरकार आबोहवा के मुताबिक फलों उत्पादन पर जमीनी काम करे तो निश्चित है की इसका लाभ कृषि और किसानों को मिलेगा,,भारत आबोहवा में विभिन्नता का देश है अगर ये सोच केंद्र में विकसित हो जाये. देश की समस्त कृषि यूनिवर्सिटी भी इसमें सहभागी ही जाये तो किसानों और देश का आर्थिक स्वस्थ और सुधरेगा ,,!
मेरे मित्र बजरंग केडिया ने आम और सूरजपुर में रोशनलाल अग्रवाल ने आडू ली पैदावार लेकर ये साबित कर दिया है की ये 'छोटा राज्य' फल उत्पादन के मामले में विपुल मुनफे कीसंभावना से परिपूर्ण है,उसका प्रमुख कारण ही यहाँ की आबो-हवा का इन दोनों फसलों के लिए माकूल होना,,!
छतीसगढ़ में आबोहवा के कारण यूपी से पहले आम और हिमांचल से पहले आडू की पैदावार हो जाती है,इस दोनों किसानों न ये साबित कर दिया है,,ये बाजार का दस्तूर है, जो पैदवार पहले बाजार पहुँचती ही उसका मोल अधिक होता है ..वो भी एक माह पहले..! बिलासपुर के केडियाजी के बागन से तो इस बार करीब पन्द्रह लाख के आम निकले ,,सूरजपुर में स्वीट कार्न स्ट्राबेरी की व्यवसायिक खेती करने वाले रोशनलाल जी भी अब आडू के पेड़ बढ़ाने में लगे हैं,,!
अगर डा.रमन सिंह जी की सरकार आबोहवा के मुताबिक फलों उत्पादन पर जमीनी काम करे तो निश्चित है की इसका लाभ कृषि और किसानों को मिलेगा,,भारत आबोहवा में विभिन्नता का देश है अगर ये सोच केंद्र में विकसित हो जाये. देश की समस्त कृषि यूनिवर्सिटी भी इसमें सहभागी ही जाये तो किसानों और देश का आर्थिक स्वस्थ और सुधरेगा ,,!
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