छतीसगढ़ की प्राचीन राजधानी रतनपुर के किले का वैभव लौटाने का काम हुआ है। यदि इस किले में दिल्ली के लालकिले की भांति ध्वनि और प्रकाश शो प्रति सन्ध्या टिकट पर दिखाया जाए तो कल्चुरी वंश के साथ छतीसगढ़ के इतिहास और इस विरासत की जानकारी माँ महामाया,खूंटाघाट आये बहुतेरे सैलानियों को सन्ध्या मिला करेगी। इसकी भाषा का माध्यम मीठी बोली छतीसगढ़ी हों सकता है।।
इस किले में सैलानियों के लिए इस शो के लिए बैठने का इंतजाम किले के भीतर हो सकता है, और चारों तरफ इस शो के उपकरण लग सकते हैं। वर्तमान ब्रेल लिपि में किले की कुछ जानकारी दी गई है।। ये बिलासपुर से मात्र 25 किमी पर है। बस इस तरफ पर्यटन और संस्कृति विभाग की पहल जरूरी है, वो ये काम किसी निजी एजेंसी को भी सौंप सकते है।।
कभी उजाड़ हो गया ये किला आज शहर की रौनक है, मत्री आते है और रतनपुर के विकास की बात करते है,पर बायपास के बाद सड़कें वीरान है, ये ऐतिहासिक नगरी का प्राचीन गौरव वैभवशाली है,इस शो में वह सब जोड़ा जा सकता है ,,!
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