गुरुवार, 30 मई 2013

मानसून से पहले आने वाला मेहमान



 मानसून के पहले एक प्यारा सा मेहमान पहुँच जाता है, दूर देश से उड़ के आने वाले इस मेहमान को चातक [pied crested cuckoo] कहते हैं, आम तौर पर या पक्षी जून माह के प्रथम सप्ताह तक पहुँच जाता है. कोयल परिवार का ये परिंदा मेरा पुराना परिचित है. मैं हर साल इसकी पियू-पियू..पी की आवाज की प्रतीक्षा करता हूं. मेरा इसका परिचय तीस-पैंतीस साल पुराना है.
मेरे मंगला गाँव के फार्म में आने वाले मेहमान को पुराने खेतिहर साथी भी पहचानते है और वो भी कभी-कभी इसके आगमन की जानकारी मुझे पहले दे देते हैं.पक्षी विज्ञानी सलीम अली के अनुसार कोयल प्रजाति के वर्षा प्रिय चातक की एक प्रजाति [रेरेट्स] अफ्रीका से आती है. जब ये पहुँचती है तब मीलों लम्बी उड़ान के बाद थकी होती है और काफी करीब जाने पर भी ये नहीं उड़ती. पर सप्ताह भर में इसको उतने करीब नहीं देखा जा सकता .

चातक करीब 18 इंच लम्बा प्रवासी पक्षी है जिसके नीचे के पर सफ़ेद और ऊपर के काले होते है और पूंछ के पंख लम्बे, इसकी उडान कोयल की उड़न शैली से मिलती जुलती है. उड़ाते समय दोनों तरह पंखों में एक रूपये के आकार का सफ़ेद गोला सुंदर दिखाई देता है. कीट-पतंगे और इलियाँ इसकी आहार तालिका में शामिल हैं. नर-मादा के पीछे एक उड़न भरते दिखाई देते हैं, ये उनका प्रजनन काल होता है. कोयल परिवार की दीगर सदस्यों की भांति ये भी चिड़िया अपने अंडे नहीं सेती. गर्मी और वर्षा की नमी कई परिंदों के वंशवृद्धि का काल होता है, ये बड़े चुपके से उनके अण्डों में अपना एक-एक अंडा रख देती हैं. और फिर वह चिड़िया ही इनके बच्चों को पालती है. बाद बड़े होने पर ये अपने असली माँ-बाप से मिल जाते है.

माना जाता हैं चातक स्वाति नक्षत्र की पहली बूंद का सेवन करता है ,पर इसका कोई प्रमाण नहीं .लेकिन मैंने ये हमेशा देखा है,कि जब-जब सूरज के सामने बदली छाती है ये परिंदा  हर्षित हो पर पेड़ के ऊपर से ‘पियू-पियू..पी.. की रट लगता है, जैसे वर्षा की चाह रखता हो और मेघों को बरसने कह रहा हो ..i ये परिंदा शहर के किनारे बगीचों में गाँव के करीब बिगड़े वनों में तो देखा जाता है पर साल के सघन वन में कभी नहीं दिखा. शरदकाल इसके वापसी का समय है, सारी वर्षाऋतू जो धीमी उड़ना भरता रहा वो पक्षी अपनी उडान में परिवर्तन ले आता है ,और ऊँची उड़ान भरता दिखता है तब ये छह या आठ का समूह होता है ,इतनी ऊँची उड़ान की दिखाई भी नहीं देता और परिवार के साथ वापस चला जाता है अपने देश ,अगले साल वर्षाकाल से पहले आने के  लिए .. मैं सोचता हूँ ये परिंदा भी जानता है की मानसूनी हवा के वेग को उसके पंख न झेल सकेंगे इसलिए वो प्रजननकाल के पहले यहाँ पहुँच जाता है.और मैं जान जाता हूं कि मानसून आने वाला है, खेती के काम शुरू कर दो..! [फोटो- गूगल से साभार]