सोमवार, 26 मई 2014

छतीसगढ़ में आम की फसल, यूपी से पहले



'आदमी की हिम्मत और सोच बंजर जमीं में फल खिला सकती है,बस लगन और सतत प्रयासकी प्रबल इच्छा चाहिए.. ये आम बिलासपुर के बजरंग केडियाजी के बगीचे के हैं,,करीब चलीस एकड़ रकबे में फैले इस आम बागन में इस साल करीब साढ़े आठ सौ क्विंटल आम की पैदावार हुई है,जिसे छतीसगढ़ से बनारस,डाल्टनगंज निर्यात किया गया है,उत्तरप्रदेश में आम की फसल से यहाँ आम को फसल करीब एक माह पहले तैयार होती है,जिसे वजह पहली पैदावार के दाम भी चौखे मिलते है..! मजे की बात है एक तरफ आम की फसल बगान में खत्म हो रही है दूजी तरफ कुछ बारामासी आम में सुंदर बौर आ रहे है,

आम का ये उद्यान बिलासपुर से कोई चौबीस किमी दूर कोटा रोड में गाँव भरारी की उस बंजर भूमि पर है जिसके सामने सरकारी पौधे लगते और दम तोड़ते नजर आते हैं, केडियाजी आज 74 साल के हैं,मगर पूरे फ़ार्म में वो एक एक पेड़ तक पहुँच के उस पर कीटप्रकोप से बचाने नजर बनाये रखते है, जब वो पत्रकारिता के जीवन में थे तब कृषि वैज्ञानिक डा. रामलाल से प्रेरित हो कर करीब सत्रह साल पहले उस उद्यान की नीव रखी,कल के पौधे आज पेड़ है..इसकी सुरक्षा के लिए यहाँ आध दर्जन डाबरमेन नस्ल के कुत्ते है जो फार्म में बंदर मवेशियों के आने नहीं देते..!

फार्म में जैविक केचुआ खाद बनाया जाता है,आम के सूखे पत्तों और गोबर से केंचुए सारा साल ये खाद तैयार करते रहते है जिसके उपयोग से फल का स्वाद और रसीला हो जाता है..! श्री केडिया इस इलाके में फलों की खेती के प्रेरक बने हैं जिस कारण और भी फल के उद्यान आकार ले रहे है,उनकी फार्म में अल्फ़ान्सो,लंगड़ा दशहरी,जैसी कोई एक दर्जन आम की प्रजातियाँ हैं,,!!हर साल पेड़ों के बढ़ने का साथ आम उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो रही है,इस बार आम की फ़सल कम हुई है मगर इस फार्म में इसका असर नहीं है यहाँ पैदावार में कोई कमी नहीं हुई ..!

सोमवार, 19 मई 2014

हम लोकतंत्र में राजतंत्र को पाले हैं



'कोई ढाई दशक पहले ख्याति लब्ध पत्रकार राजेन्द्र माथुर ने कहा था- ''हम लोकतंत्र में रहते हैं पर दिमाग में राजतन्त्र बसा है..हम जिसे विजयी बनाते हैं उसका जगह-जगह शाही स्वागत करते है,फिर वो अपने राजा मान सुरक्षा के घेरे में हम से दूर हो जाता है तब हमें लोकतंत्र की याद आती है और हम जिसे विजयी बनाया उसे सत्ता से उतार कर दम लेते है''..ये सिलसिला चलता रहता है,जिसे बनाते हैं उसमें राजा की छवि देख दूर हो जाते है और ये दूरी बाद उसे सत्ता से उतार का दम लेती है.

जमीं के बंदे नमो ने अभी पीएम पद की शपथ नहीं ली पर जो उनका स्वागत सम्मान हो रहा है,जो शाही घेराबंदी हो रही है वो राजतन्त्र की याद दिलाता है ,इडियटबाक्स ने तो उसे सर पर उठा लिया है,और महानायक बना दिया है..!

राजेन्द्र माथुर जी रायपुर आये थे और उनको सुनाने बिलासपुर के पत्रकार को जनसंपर्क अधिकारी रविन्द्र पांडेया ले कर गए थे..! नमो ने जीवन के कई रंग देखे होंगे,पर माथुरजी ने जो कहा उसे मैंने सत्य पाया ..हे रब, इस स्वागत और दिखावे के फंदे से इस आम आदमी को बचाए रखना ..!!